Saturday, October 25, 2008

मुक्तक 12

नीदों में आके नित नए सपने दिखाएगा
इस रात वो न आएगा, सपना तो आएगा
पहले की तरह अब नहीं आती हैं हिचकियाँ
वो मुझको याद करके समय क्यों गँवाएगा

गुज़री थी बचपने में जहाँ खेलते हुए
वर्षों रही है मन में उसी रास्ते की याद
अब मैं हूँ और साथ ही दो कश्तियों में पाँव
ससुराल का खयाल तो कभी मायके की याद

दिल के लिए वो लेके दिलासे भी आए हैं
नींद आई है तो साथ में सपने भी आए हैं
दो दिल मिले तो साथ में परिवार भी मिले
घर में बहू जो आई तो रिश्ते भी आए हैं

बेटी से मिला चैन कभी माओं से पूछिए
क्या सुख है डालियों का, परिंदों से पूछिए
परदेस जब गया है तो आँखें हुई गुलाल
भाई की चाहतें कभी बहनों से पूछिए

डॉ. मीना अग्रवाल

6 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

बेटी से मिला चैन कभी माओं से पूछिए
क्या सुख है डालियों का, परिंदों से पूछिए
परदेस जब गया है तो आँखें हुई गुलाल
भाई की चाहतें कभी बहनों से पूछिए
bahut sunder

nadeem said...

वो नीदों में आके नित नए सपने दिखाएगा
इस रात वो न आएगा, सपना तो आएगा
पहले की तरह अब नहीं आती हैं हिचकियाँ
वो मुझको याद करके समय क्यों गँवाएगा

Waah!!!! बेहतरीन..एक एक शब्द शानदार और भावनाओ से परिपूर्ण.
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लीजिये. ये टिप्पणी करने में बाधा पैदा करता है. इसकी आवश्यकता नहीं है.

Shiv said...

बहुत सुंदर..

श्यामल सुमन said...

सुन्दर प्रस्तुति।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया!!

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

शोभा said...

नीदों में आके नित नए सपने दिखाएगा
इस रात वो न आएगा, सपना तो आएगा
पहले की तरह अब नहीं आती हैं हिचकियाँ
वो मुझको याद करके समय क्यों गँवाएगा

गुज़री थी बचपने में जहाँ खेलते हुए
वर्षों रही है मन में उसी रास्ते की याद
अब मैं हूँ और साथ ही दो कश्तियों में पाँव
ससुराल का खयाल तो कभी मायके की याद
बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं