Tuesday, July 5, 2011

केवल आज

एक दिन अचानक सुना
कि मरा है कोई आदमी
लेकिन मरने वाले को
तब यह पता चला
कि वह अब तक ज़िंदा था
इसी तरह
हर दिन,हर क्षण
दौड़ता है हर आदमी
उसे अवकाश ही कहाँ
यह जानने का
कि अब तक ज़िंदा है वह
दौड़ता रहा,दौड़ता रहा यूँ ही
जब ज़िंदगी चली गई दूर,
बहुत दूर,
तब उसे पता चला
कि ज़िंदा था वह!
इसी तरह
भविष्य में जीता है
प्रत्येक महत्त्वाकांक्षी
और वर्तमान में होती है
उसकी ज़िंदगी
वह जीता है
कल की आशा में
आगे बहुत आगे,
और आगे
पहुँचने की प्रत्याशा में।
आज वह दुखी है,
पीड़ित है और परेशान है
क्योंकि
सुखी तो उसे कल होना है
कल पहुँचना है
सबसे आगे
वह जानकर भी
यह नहीं जानना चाहता
कि कल,
न कभी आया है
और कल,
न कभी आयेगा
क्योंकि अस्तित्व है
बस वर्तमान का
और शाश्वत है
केवल आज !

डॉ. मीना अग्रवाल