हमको अपने बराबर न तोला कभी
यह पुराना तरीक़ा न बदला कभी
दिल की धड़कन से गीतों की धुन फूटती
पति शासक नहीं, मित्र बनता कभी
अपने भेदों की गुत्थी न खोलेगे तुम
बस अँधेरे में रस्ता टटोलोगे तुम
घर में फिर लौटकर देर से आओगे
जानती हूँ कि फिर झूठ बोलोगे तुम
डॉ. मीना अग्रवाल
Monday, November 17, 2008
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2 comments:
bahut khub
waah ka baat hai sundar
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