वह अपनी आँखों में उमड़ी घटाएँ भेजती है
वह अपने प्यार की ठंडी हवाएँ भेजती है
कभी तो ध्यान के हाथों,कभी पवन के साथ
वह माँ है, बेटे को शुभकामनाएँ भेजती है ।
वे भोली-भाली-सी शक्लें भी साथ रहती हैं
सुनी सुनाई-सी बातें भी साथ रहती हैं
अकेले आए थे परदेस में, मगर यह क्या ?
गली- मुहल्ले की यादें भी साथ रहती हैं .
Friday, February 12, 2010
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6 comments:
सुन्दर मुक्तक!
महाशिवरात्री की आपको बहुत शुभकामनाएँ.
बहुत प्रभावशाली मुक्तक हैं...बधाई
बहुत सुन्दर मुक्तक!
महाशिवरात्री की शुभकामनाएँ!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बढ़िया मुक्तक!!
वाह .. बहुत बढिया !!
nice
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