तपन बढ़ी है तो तन-मन जला है अब के बरस
शरद की रुत में भी सूरज तपा है अब के बरस
चला गया है जो अश्कों को पोंछने वाला
हमारी आँखों में सूखा पड़ा है अब के बरस
वह अब तो शाम को घर लौटकर नहीं आता
उसे मिली भी जो मंज़िल तो इतनी दूर मिली
सुना है पार समुंदर, पराए देश में है
जो उसने नौकरी ढूँढी तो कितनी दूर मिली
डॉ. मीना अग्रवाल
Wednesday, January 21, 2009
Thursday, January 8, 2009
नववर्ष मंगलमय हो
नववर्ष की अनंत शुभकामनाएँ--
नए वर्ष की नई दिशा हो
नई कामना, नई आस हो
नई भावना, नई सोच हो
नई सुबह की नई प्यास हो
नई धूप हो, नई चाँदनी
नई सदी का नव विकास हो
नया प्रेम औ' नया राग हो
हर सुख अपने आसपास हो
नई रौशनी, नई डगर हो
नया खून औ' नई श्वास हो
नया रूप औ' नव जुनून हो
मन में बसती नव मिठास हो
नए सपन हों, नई शाम हो
रंग-बिरंगा कैनवास हो
नए फूल औ' नई उमंगें
अंतर्मन में नव सुवास हो !
डॉ. मीना अग्रवाल
नए वर्ष की नई दिशा हो
नई कामना, नई आस हो
नई भावना, नई सोच हो
नई सुबह की नई प्यास हो
नई धूप हो, नई चाँदनी
नई सदी का नव विकास हो
नया प्रेम औ' नया राग हो
हर सुख अपने आसपास हो
नई रौशनी, नई डगर हो
नया खून औ' नई श्वास हो
नया रूप औ' नव जुनून हो
मन में बसती नव मिठास हो
नए सपन हों, नई शाम हो
रंग-बिरंगा कैनवास हो
नए फूल औ' नई उमंगें
अंतर्मन में नव सुवास हो !
डॉ. मीना अग्रवाल
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